✦ राजस्थान का एकीकरण —
- वायसराय लाई लिनलिथगो द्वारा राजस्थान के एकीकरण का सर्वप्रथम प्रयास 1939 में किया था।
- 20 फरवरी, 1947 ई. को इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की भारत को जून, 1948 ई. तक सत्ता सौंप देंगे।
- क्लीमेंट एटली, प्रधानमंत्री ब्रिस्टल चर्चिल के स्थान पर ब्रिटेन में मजदूर पार्टी / लैबर पार्टी से चुनाव जीते।
- 25 जून, 1947 ई. को भारत की अंतरिम सरकार ने निर्णय लिया कि एक नए रियासती विभाग का गठन किया जाए।
❒ रियासती विभाग —
☞ स्थापना — 5 जुलाई, 1947 ई. ☞ मुख्यालय — श्रीनगर जम्मू कश्मीर
☞ अध्यक्ष — सरदार वल्लभ भाई पटेल ☞ सचिव — वी.पी. मेमन
- भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 ई. की धारा 8 में रियासती विभाग के अनुसार वही रियासतें स्वतन्त्र रहेगी जिनकी जनसंख्या 10 लाख वार्षिक आय एक करोड़ हो, इस मापदंड में राजस्थान की 4 रियासतें आयी — जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, उदयपुर।
- भारत में कुल 565 रियासतें थी। 15 अगस्त, 1947 ई. को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब कश्मीर, हैदराबाद एवं जूनागढ़ के अतिरिक्त देश में 550 से अधिक रियासतें 15 अगस्त से पूर्व शामिल हो गयीं।
✦ भारत में रियासतों विलय के दौरान तीन रियासतों कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़(गुजरात) में समस्याएँ आयी, इन रियासतों ने भारत में विलय का विरोध किया।
- कश्मीर — यहाँ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवाये गये।
- हैदराबाद — यहाँ सैनिक कार्यवाही की गई।
- जूनागढ़ (गुजरात) — यहाँ जनमत करवाया गया है।
- भारत की सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद व सबसे छोटी रियासत बिलावरी (मध्यप्रदेश) थी।
- राजस्थान में 3 ठिकाने थे, ये ठिकाने हैं — नीमराणा,कुशलगढ़ व लावा
- नीमराणा (कोटपूतली—बहरोड़) — यहाँ का सामन्त राव राजेन्द्र था, नीमराणा को प्रथम चरण में मिलाया गया।
- कुशलगढ़(बाँसवाड़ा) — यहाँ का सामन्त हरेन्द्र सिंह था, इसे दूसरे चरण में मिलाया गया। कुशलगढ़ सबसे बड़ा ठिकाना था।
- लावा (टोंक) — इसे चौथे चरण में वृहत राजस्थान संघ में मिलाया गया। लावा सामन्त बंध प्रदीप सिंह था। यह सबसे छोटा ठिकाना था। 10 जुलाई, 1948 को लावा ठिकाने को केन्द्रीय सरकार के आदेश से जयपुर रियासत में शामिल कर लिया गया था।
- अजमेर—मेरवाड़ा सी श्रेणी का केन्द्र शासित प्रदेश था। अजमेर-मेरवाड़ा की अलग से विधानसभा थी जिसे धारा—सभा कहा जाता था। अजमेर-मेरवाड़ा विधानसभा में 30 सदस्य थे। इसके एकमात्र मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय बने थे।
- राजस्थान बी श्रेणी में आता था। राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूर्ण हुआ। 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे।
✦ राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण — मत्स्य संघ (मत्स्य यूनियन) — 18 मार्च, 1948 ई.
- के. एम. मुन्शी के परामर्श पर भारत सरकार ने इस संघ का नाम ‘मत्स्य संघ’ रखा।
- 28 फरवरी, 1948 ई. को अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली राज्यों के चारों शासकों ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये।
- इस विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले राजपूताने के अन्तिम राजा धौलपुर नरेश उदयभान सिंह थे।
- मत्स्य संघ का उद्घाटन 17 मार्च, 1948 ई. को होना तय हुआ। परन्तु जैसे ही उद्घाटन दिवस को घोषणा हुई भरतपुर महाराजा बृजेन्द्र सिंह के छोटे भाई मानसिंह व जाट नेता देशराज जाट ने इसका विरोध किया व जाट विरोधी बताकर जाटों को भड़काया। इसने जाटों को शस्त्रों सहित भरतपुर पहुंचने का आह्वान किया, मानसिंह को गिरफ्तार कर लिया व भीड़ को समझाकर शान्त किया गया।
- इस कारण मत्स्य संघ का विधिवत उद्घाटन एन.बी. गाडगिल ने 18 मार्च, 1948 ई. को किया।
- मत्स्य संघ में रियासतें अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली व एक ठिकाना नीमराणा को मिलाया गया।
- मत्स्य संघ की राजधानी अलवर को बनाया गया।
- धौलपुर के राजा उदयभान सिंह को राजप्रमुख एवं करौली के शासक गणेशपाल को उप-राजप्रमुख बनाया गया।
- अलवर प्रजामण्डल नेता शोभाराम को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया।
- इस प्रकार एकीकरण का प्रथम चरण पूरा हुआ।
- मत्स्य संघ का क्षेत्रफल 7536 वर्ग मील (12000 वर्ग किलोमीटर) व जनसंख्या 183000 थी।
- मत्स्य संघ की वार्षिक आय ₹ 184 लाख थी।
- मत्स्य संघ का उद्धाटन लोहागढ़ दुर्ग, भरतपुर में हुआ।
❒ राजस्थान एकीकरण का द्वितीय चरण — पूर्व राजस्थान संघ/राजस्थान संघ/ राजस्थान यूनियन — 25 मार्च, 1948 ई.
- बाँसवाडा, बूँदी, डूंगरपुर, झालावाड़ किशनगढ़, कोटा, टोंक, प्रतापगढ़ एवं शाहपुरा रियासतों को मिलाकर पूर्व राजस्थान संघ बनाया गया।
- पूर्व राजस्थान संघ की राजधानी कोटा को बनाया गया।
- राजप्रमुख कोटा के भीम सिंह को बनाया गया, उपराजप्रमुख बूंदी के बहादुरसिंह को बनाया गया।
- कनिष्ठ उपराजप्रमुख डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मणसिंह को बनाया गया।
- उद्घाटन एन.बी गॉडगिल ने किया।
- उद्घाटन कोटा दुर्ग में हुआ।
- इस प्रकार एकीकरण का द्वितीय चरण पूरा हुआ।
- पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16807 वर्ग किलोमीटर था।
- पूर्व संघ की जनसंख्या 23.05 लाख थी।
- पूर्व संघ की वार्षिक आय ₹2 करोड़ थी।
- कोटा का भीमसिंह हाड़ौती संघ बनाना चाहता था।
- बांसवाड़ा के चन्द्रवीरसिंह ने एकीकरण पर हस्ताक्षर करते समय कहा था- “मैं अपने मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करता हूँ”
❒ राजस्थान एकीकरण का तृतीय चरण — संयुक्त पूर्व राजस्थान संघ (यूनाईटेड स्टेटस ऑफ राजस्थान) — 18 अप्रैल, 1948 ई.
- मेवाड़ रियासत अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती थी, फिर भी भारत सरकार ने मेवाड़ रियासत को संघ में मिलने के लिए कहा, तब मेवाड़ महाराणा व उनके प्रधानमंत्री सर रामामूर्ति ने इसे अस्वीकार कर दिया।
- मेवाड महाराणा ने कहा — ‘मेवाड़ का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है इसे भारत में विलय करके मानचित्र पर अपना अस्तित्व समाप्त नहीं करना चाहते”।
- इसके विरोध में माणिक्यलाल वर्मा ने दिल्ली से एक भाषण में कहा “20 लाख जनता के भाग्य का फैसला अकेले महाराणा व उनके प्रधानमंत्री रामामूर्ति नहीं कर सकते।”
✦ सयुक्त पूर्व राजस्थान संघ में मिलने से पूर्व महाराणा की शर्तेः-
- बीस लाख प्री पेन्शन दी जाए।
- राजप्रमुख पर वंशानुगत किया जाए।
- उदयपुर को संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाई जाए।
- 11 अप्रैल, 1948 को महाराणा भूपाल सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
- पूर्व राजस्थान संघ में उदयपुर रियासत मिलते ही संयुक्तपूर्व राजस्थान संघ कहलाया।
- अब इस चरण में 10 रियासत हो गई ☞ बाँसवाडा, बूंदी, किशनगढ़, कोटा, झालावाड़, डूंगरपुर,प्रतापपुरा,शाहपुरा, टोंक, उदयपुर।
- संयुक्त पूर्व राजस्थान संघ की राजधानी उदयपुर बनायी गयी।
- राजप्रमुख उदयपुर के महाराणा भूपालसिंह को बनाया गया।
- उपराजप्रमुख कोटा के भीमसिंह को बनाया गया।
- कनिष्ठ उप राजप्रमुख डूंगरपुर के लक्ष्मणसिंह को व बूंदी के बहादुरसिंह को बनाया गया।
- प्रधानमंत्री कोल्यारी गांव/उदयपुर के माणिक्यलाल वर्मा को बनाया गया।
- संयुक्त पूर्व राजस्थान संघ का उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरु ने कोटा दुर्ग में किया।
- संयुक्त पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 29777 वर्ग मील था।
- जनसंख्या लगभग 42 लाख 60 हजार थी।
- इस संघ की वार्षिक आय 3.16 लाख रूपये थी।
- हनुमंत सिंह के पाकिस्तान के साथ मिलने कि बात पर महाराणा भोपाल सिंह ने कहा था ‘भारतीय महाद्वीप में मेवाड़ का स्थान क्या होगा यह मेरे पूर्वज निर्णय करके चले गये अगर मेरे पूर्वज गद्दारी करते तो मुझे भी हैदराबाद जैसी बड़ी रियासत मिलती न तो मेरे पूर्वजों में ऐसा किया और न ही मैं ऐसा करूंगा।”
- संयुक्त पूर्वी राज संघ मंत्रिमण्डल में निम्न व्यक्ति शामिल थे —
☞ गोकुल लाल असावा (शाहपुरा) ☞ भांगीलाल पाण्ड्या (डूंगरपुर)
☞ अभिन्न हरि (कोटा) ☞बृजसुन्दर शर्मा (बूंदी) ☞भूरेलाल बयां (उदयपुर)
☞ मोहनलाल सुखाड़िया (उदयपुर) ☞ प्रेमनारायण माथुर (उदयपुर)
❒ राजस्थान एकीकरण का चतुर्थ चरण — वृहत राजस्थान संघ / ग्रेटर राजस्थान — 30 मार्च, 1949
- संयुक्त राजस्थान के पुनर्गठन के बाद राजस्थान के केवल चार राज्यों-जयपुर जोधपुर, बीकानेर, तथा जैसलमेर आदि का मिलना शेष रह गया था।
- जैसलमेर के अतिरिक्त तीन राज्यों के शासक अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहते थे।
- 30 मार्च, 1949 ई. को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने वृहद राजस्थान संघ का उद्घाटन किया।
- इसी दिन राजस्थान दिवस मनाया जाता है।
- जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वितीय को राजप्रमुख बना दिया गया परन्तु उदयपुर के महाराणा ने इसका विरोध किया।
- अत: उदयपुर के महाराणा को राजप्रमुख से भी अधिक सम्मानित पद महाराज प्रमुख बनाया गया। एकीकरण में एकमात्र महाराज प्रमुख यही बने।
- सत्यनारायण कमेटी के कहने पर जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
- बी. आर. पटेल की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में पेयजल आपूर्ति के आधार पर जयपुर को राजधानी घोषित किया।
- इस कमेटी के अन्य सदस्य टी. सी . पुरी व श्री एच.पी. सिन्हा थे।
- वृहद राजस्थान का नामकरण मनोहर लोहिया द्वारा समाजवादी दल का गठन करके रखा गया था।
- • 7 अप्रैल 1949 को रामनवमी के दिन पं. हीरालाल शास्त्री के नेतृत्व में नये मंत्रिमण्डल ने शासन सम्भाल लिया।
- 7 अगस्त, 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले बीकानेर के साईल सिंह राजपुताने के पहले राजा थे।
- जोधपुर का शासक हनुमंत सिंह को वी.पी. मेनन ने वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास बुलाया जहाँ उनसे विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराये गये।
- हनुमंत सिंह ने वी.पी. मेनन पर पेन पिस्टल तानकर कहा था “मैं तुम्हारे दबाब में नहीं आने वाला” तब माउंट बेटन वहा आ गये और पिस्टल ले लिया, यह पिस्टल वर्तमान में इंग्लैंड के एक क्लब में रखा है।
❒ वृहद राजस्थान संघ मंत्रिमण्डल में शामिल व्यक्ति —
- सिद्धराज इंडडा (जयपुर) 2.वेदपाल त्यागी (कोटा) 3.रघुवर दयाल गोयल (बीकानेर)
- हनुमंत सिंह (जोधपुर) 5. प्रेमनारायण माथुर (उदयपुर) 6.भूरेलाल बयां (उदयपुर)
7.फूलचंद बाफना (जोधपुर) 8. नृसिंह कच्छवाहा (जोधपुर)
❒ विभागों का बंटवारा —
- जोधपुर-राजस्थान उच्च न्यायालय • बीकानेर — शिक्षा विभाग • उदयपुर- खनिज विभाग
- भरतपुर — कृषि विभाग • कोटा — वन विभाग • अजमेर — राजस्व विभाग
❒ राजस्थान एकीकरण का पंचम चरण — संयुक्त वृहद राजस्थान संघ / वृहत्तर राजस्थान संघ (यूनाइटेड स्टेट ऑफ ग्रेटर राजस्थान) — 15 मई, 1949 ई.
- भारत सरकार ने मत्स्य संघ के बारे में निर्णय करने के लिए 13 फरवरी, 1949 ई. को मत्स्य संघ के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया।
- इसमें धौलपुर के अतिरिक्त शेष सभी राज्यों ने वृहत्तर राजस्थान में मिलना स्वीकार कर लिया।
- धौलपुर के राजा ने कहा कि “वहाँ की जनता यू.पी. में मिलना चाहती है।” अतः भारत सरकार ने 4 अप्रैल, 1949 को शंकरदेवराय की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी।
- इस समिति के सदस्य आर. के सिद्धवा, प्रभुदयाल और हिम्मत सिंहका थे। इन्होंने जनमत से लोगों की राय बानी।
- इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भरतपुर तथा धौलपुर दोनों ही राज्यों की जनता भारी बहुमत से राजस्थान में मिलना चाहती है।
- भारत सरकार ने कमेटी की सिफारिश के आधार पर 1 मई, 1949 ई. का मत्स्य संघ का राजस्थान में विलीनीकरणकी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
- 10 मई को दिल्ली में एक सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें मत्स्य संघ एवं वृहत्तर राजस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- इस सम्मेलन में मत्स्य संघ को राजस्थान में मिलाने का निर्णय लिया गया। 15 मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय कर दिया गया।
❒ राजस्थान का छठा चरण — राजस्थान संघ (यूनाइटेड राजस्थान) 26 जनवरी 1950
- इस चरण में संयुक्त वृहद् राजस्थान संघ में सिरोही मिलाया गया आबू देलपाड़ा को छोड़कर।
- इस चरण के दिन देश में संविधान लागू हो गया तथा प्रधानमंत्री के स्थान पर मुख्यमंत्री का पद आ गया।
- प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री जी को बनाया गया।
✦ सिरोही की समस्या —
- सिरोही का पर्यटक की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल होने के कारण गुजरात के नेता इसे गुजरात में मिलाना चाहते थे।
- जनता के विरोध के बाद भी रियासती विभाग ने नवम्बर, 1947 ई. में सिरोही को राजपूताना एजेन्सी से हटाकर गुजरात एजेन्सी के तहत कर दिया व मुम्बई प्रांत में मिला दिया।
- सिरोही की जनता मुम्बई में न मिलकर राजस्थान में मिलना चाहती थी।
- सिरोही के मामले पर हीरालाल शास्त्री ने सरदार पटेल को पत्र लिखा व कहा ‘उदयपुर राजस्थान में मिला प्रसन्नता हुई अब सिरोही का भी राजस्थान में विलय होना चाहिए, सिरोही का अर्थ है गोकुल भाई भट्ट।
- गोकुल भाई भट्ट के बिना हम राजस्थान नहीं चला सकते।”
- सरदार पटेल ने जनवरी, 1950 ई. में आबू व देलवाड़ा पर्यटक स्थलों को छोड़कर, शेष सिरोही व हाथल गाँव राजस्थान में मिला दिया।
- इस निर्णय के बाद सिरोही में आन्दोलन हुए। इस आन्दोलन में गोकुलभाई भट्ट व बलवन्तसिंह मेहता ने भूमिका निभाई।
- ये आन्दोलन तब समाप्त हुआ जय भारत सरकार ने आश्वसन दिया कि हम निर्णय पर पुर्नविचार कारेंगे।
- 1 नवम्बर, 1956 ई. को राज्य पुनर्गठन आयोग ने शेष सिरोही को राजस्थान में मिला दिया।
❒ राजस्थान एकीकरण का सातवाँ चरण — राजस्थान / वर्तमान राजस्थान संघ (री-ऑर्गमाइन्ड राजस्थान) — 1 नवम्बर, 1956
• 22 दिसम्बर, 1953 ई. को फजल अली को अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया।
• जस्टिस ‘फजल अली’ को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।
• इसके सदस्य पण्डित हृदयनाथ कुंजरू व सरदार पिन्नकर को चुना गया।
• इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सितम्बर, 1955 ई. में भारत सरकार को सौंप दी।
• इस रिपोर्ट के आधार पर संसद ने नवम्बर, 1956 ई. में ‘राज्य पुनर्गठन अधिनियम’ चनाया।
• इस अधिनियम के द्वारा अ, ब, स व द राज्यों के बीच अन्तर को समाप्त कर दिया।
• अब भारत को सिर्फ दो श्रेणी के राज्यों में रखा गया।
• प्रथम राज्य जिनकी संख्या 14 थी तथा द्वितीय 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए।
• इसकी सिफारिश पर 1 नवम्बर, 1956 ई. को अजमेर मेरवाड़ा सहित शेष सिरोही (आबू देलवाडा) को राजस्थान संघ में मिला दिया गया।
• इसी दिन मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले के मानपुरा तहसील के सुनेलटप्पा को झालावाड़ में मिलाया गया व झालावाड़ के सिरौज को मध्यप्रदेश में मिलाया गया।
- 1 नवम्बर को राजस्थान अ श्रेणी में शामिल हो गया।
- राजप्रमुख के स्थान पर राज्यपाल पद बना दिया गया।
- राजस्थान के प्रथम राज्यपाल गुरूमुख निहाल सिंह थे। इस समय मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे, इनका सबसे लम्बा कार्यकाल है, इन्हें आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहा जाता है।
❒ रियासतें —
- रियासतों को तोप सलामी का अधिकार था, ठिकाणों को नहीं।
- लेकिन राजस्थान में शाहपुरा व किशनगढ़ रियासत को अपवाद के रूप में माना जाता है, जिन्हें तोप सलामी का अधिकार नहीं था।
- मेवाड़ महाराणा को 19 तोपों की सलामी, बीकानेर राजा को 17 तोपों की सलामी मिलती थी।
- भारत में केवल तीन रियासतों को कश्मीर, पटियाला, बीकानेर को तोप रखने का अधिकार था।
❒ एकीकरण से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य —
- एकीकरण के समय सबसे बड़ी रियासत मारवाड़ (1671 वर्ग में) थी।
- एकीकरण के समय सबसे छोटी रियासत शाहपुरा (1450 वर्ग में) थी।
- एकीकरण के समय राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ थी, जिसकी स्थापना 566 ई. में गुहादित्य ने की थी।
- राजस्थान की सबसे नवीन रियासत 1838 ई. में इालावाड़ बनी थी। झालावाड़ एकमात्र रियासत भी, जो अंग्रेजों ने बनायी थी।
- झालावाड़ को 1818 ई. में कोटा से अलग कर के बनाया था।
- झालावाड़ की राजधानी पाटन थी।
- एकीकरण के समय सर्वाधिक जनसंख्या वाली रियासत जयपुर थी।
- एकीकरण के समय कम जनसंख्या वाली रियासत शाहपुरा थी।
- 1941 ई. को जनगणना के अनुसार जयपुर की जनसंख्या 30 लाख व शाहपुरा को 16 हजार थी।
- एकीकरण के समय राजस्थान की जाट रियासत भरतपुर व धौलपुर थी।
- एकीकरण के समय राजस्थान की मुस्लिम रियासत टोंक थी।
- जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासन को स्थापना शाहपुरा रियासत ने की थी व जैसलमेर रियासत ने पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना नहीं की थी।
- जैसलमेर राजस्थान की एकमात्र रियासत थी, जिसने उत्तराधिकारी शुल्क नहीं दिया था।
- बीकानेर, जैसलमेर व किशनगढ़ रियासत मराठों को चोथ कर नहीं देते थे।
- जयपुर व जैसलमेर रियासत ने 1942 ई. के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं लिया था।
- डाक टिकट व पोस्ट कार्ड जारी करने वाली रियासत जयपुर थी।
- वन्य जीव अधिनियम पारित करने वाली रियासत अलवर थी।
- वन्य जीव अधिनियम कानून बनाने वाली रियासत जोधपुर थी।
- शिकार एक्ट पर रोक लगाने वाली रियासत टोंक थी।
- शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने वाली रियासत डूंगरपुर थी।
- अलवर रियासत में प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था।
- एकीकरण के समय अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डूंगरपुर, टोंक व जोधपुर रियासतें राजस्थान में मिलना नहीं चाहती थी।
- इनमें से टोंक व जोधपुर रियासत पाकिस्तान में मिलना चाहती थी।
- एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि ₹4 करोड़ 87 लाख बीकानेर ने जमा करवायी।
- एकीकरण या आजादी के समय रियासतो के शासक क्रमश: मेवाड़ / उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह, मारवाड़/ जोधपुर के महाराजा हनुमंत सिंह, जयपुर के महाराज सवाई मानसिंह द्वितीय , बीकानेर के महाराज सार्दुलसिंह, अलवर के महाराजा तेजसिंह, धौलपुर के महाराज उदयभान सिंह, भरतपुर के महाराव बृजेन्द्र सिंह द्वितीय, कोटा के महाराव भीमसिंह द्वितीय, बूॅंदी के महाराव बहादुरसिंह, झालावाड़ के राजराणा हरिश्चन्द्र, बांसवाड़ा के महारावल चन्द्रभान सिंह या चन्द्रवीर सिंह, डुॅंगरपुर के महारावल लक्ष्मणसिंह, किशनगढ़ के महाराजा सुमेर सिंह, शाहपुरा के महाराजा सुदर्शनसिंह, सिरोही के महाराजा अभय सिंह , जैसलमेर के महारावल जवाहर सिंह, प्रतापगढ़ के महारावल रामसिंह, टोंक के अजीज उद्दौला व करौली के महाराजा गणेशपाल थे।
❒ अंग्रेजों ने भारत को तीन श्रेणीयों में बाँटे रखा था —
- ‘ए’ श्रेणी — इनमें वे क्षेत्र थे जिन पर अंग्रेजों का सीधा अधिकार था। — जैसे बम्बई, मद्रास, ☞ ‘ए’ श्रेणी के प्रमुख को गवर्नर कहते थे
2 . ‘बी’ श्रेणी — वे क्षेत्र जो रियासतों में बंटे थे। — जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश/मध्यभारत।
☞ ‘बी’ श्रेणी के प्रमुख को राजप्रमुख कहते थे
- ‘सी’ श्रेणी — वे क्षेत्र जिन पर अंग्रेजो का अधिकारी चीफ कमिश्नर बैठता था। जैसे — दिल्ली, अजमेर व मेरवाड़ा।
❒ एकीकरण के समय राजस्थान में चार राजनैतिक एजेंसियों थी —
- राजस्थान राजपूताना स्टेट एजेन्सी — कोटा
- पश्चिमी राजपूताना स्टेट एजेन्सी — जोधपुर
- दक्षिण / मेवाड़ राजपूताना स्टेट एजेन्सी – उदयपुर।
- जयपुर राजपूताना स्टेट एजेन्सी – जयपुर
☞ शासकों को मिलने वाली प्रिवीपर्स की पेंशन, चौथी पंचवर्षीय योजना में समाप्त कर दी गई थी।