सामान्य विज्ञान — जीव विज्ञान  – कोशिका विज्ञान 

✦ कोशिका विज्ञान  

• कोशिका जीवों की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई होती है।

• कोशिका अर्ध पारगम्य झिल्ली से घिरी रहती है तथा इसमें स्वतः जनन को क्षमता होती है।

• कोशिका के अध्ययन को सायटोलॉजी कहा जाता है।

• कोशिका की सर्वप्रथम खोज (1665) कॉर्क में रॉबर्ट हुक ने की थी

• सजीवों में कोशिका की खोज (1674) एन्टोनीवॉन ल्यूवेनहॉक ने की थी।

• सर्वप्रथम संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार (1665) रॉबर्ट हुक ने किया था।

• इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार (1932) नॉल व रस्का ने किया था।

• रॉबर्ट ब्राउन (1831) ने कोशिका में केन्द्रक व केंद्रिका का पता लगाया था।

* कोशिका सिद्धांत (1838—1839) शलाईडेन (M.J. Schleiden) व शैवान (Theodor Schwann) ने प्रस्तुत किया था।

• सर्वप्रथम कोशिका विभाजन सिद्धांत रुडोल्फ विरचों ने(1855) में दिया था।

* सजीव की सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग का अंडा (Ostrich Egg) होती है जिसका साइज लगभग 170 x 155 mm होती है।

• सजीव की सबसे छोटी कोशिका माइक्रो प्लाज्मा जीवाणु व PPLO (Pleuro Pneumonia Like Organism) में होती है जिसका आकार लगभग 0.1 माइक्रोमीटर होता है।

* मनुष्य के शरीर की सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका कोशिका (Nevercell) लगभग 1 मीटर होती है।

• मनुष्य के शरीर की सबसे बड़ी कोशिका अंडाणु होती है।

• मनुष्य के शरीर की सबसे छोटी कोशिका शुक्राणु होती है

* एक कोशिकीय जीव-अमीबा, पैरामीशियम, युग्लिना बैक्टीरिया या जीवाणु, तथा क्लैमिडोमोनास आदि है।

•  फ्लेमिंग ने (1880-1882) क्रोमोटिन की खोज तथा कोशिका का समसूत्री विभाजन (Mitosis) दिया था।

* वाट्सन व क्रिक में (1953) डी.एन.ए. का डबल हेलिक्स संरचना का मॉडल प्रस्तुत किया था।

* स्ट्रासबर्गर ने (1884) पैतृक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में केन्द्रक की भूमिका के बारे में बताया था।

• वाल्डेयर ने (1888) गुणसूत्र का नामकरण किया था।

* कैमिलो गॉल्जी ने (1898) गॉल्जीकाय की खोज की थी।

• रिचर्ड अल्टमन ने (1890) माइटोकांड्रिया की खोज की जिसे उसने बायो प्लास्ट नाम दिया व बेन्डा ने (1898) इसे माइटोकांड्रिया नाम दिया था।

• वायरस कोशिका सिद्धांत का अपवाद है।

* लाइसोसोम की खोज (1958) डि-डवे ने की थी।

❒ एककोशिकीय (Unicellular) : इनका शरीर केवल एक कोशिका का बना होता है तथा सभी कार्य केवल एक ही कोशिका द्वारा सम्पादित किये जाते हैं-जैसे अमीबा, पैरामीशियम, युग्लिना बैक्टीरिया या जीवाणु तथा क्लैमिडोमोनास आदि।

❒ बहुकोशिकीय (Multicellular) : इनका शरीर कई कोशिकाओं से बना होता है तथा सभी कार्य कोशिकाओं के समूह के द्वारा सम्पादित किये जाते -जैसे-कंचुआ, मेंढक, मछली, पक्षी, मनुष्य आदि।

❒ प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell):

  • इसमें केन्द्रक अर्धविकसित व बिना केन्द्रक झिल्ली के होता है — जीवाणु,विषाणु, माइक्रोप्लाज्मा व ​हरित शैवाल इत्यादि।
  • इसमें कोशिकांग का अभाव होता है।
    ❒ यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)
  • इसमें केन्द्रक के चारों ओर पूर्ण विकसित केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है, जो सभी पौधों व जंतुओं में उपस्थित होती है।
  • इनमें पूर्ण विकसित कोशिका भित्ति पाई जाती है जो पादपों में सेलुलोज की व जंतुओं में लाईपो प्रोटीन की बनी होती है
  • इसमें गुणसूत्र की संख्या एक से अधिक होती है
  • कोशिका भित्ति (Cell Wall) सेलुलोज की बनी कोशिका झिल्ली के चारों ओर कठोर आवरण होता है।
  • यह केवल पादप कोशिकाओं में पायी जाती है
  • कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा झिली (Cell Membrane) जंतु तथा पादप दोनों में पाई जाती है तथा यह प्रोटीन व लिपिड की बनी होती है।
  • यह अर्ध पारगम्य होती है तथा यह कुछ पदार्थों को गमन करने देती है इसलिए इसे चयनात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively Permeable Membrane) भी कहते हैं।

❒ जीवद्रव्य

  • कोशिका के अन्दर सम्पूर्ण जीवित पदार्थ को जीवद्रव्य कहते हैं।
  • वैज्ञानिक हक्सले ने बताया कि जीवद्रव्य जीवन का भौतिक आधार होता है।
  • जोहैन्स पुरकिंजे ने (1840) इस जीवित पदार्थ को प्रोटोप्लाज्म या जीवद्रव्य नाम दिया था।
  • कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दोनों मिलकर जीवद्रव्य का निर्माण करते हैं।

✦ तारककाय (Centrosome) —

  • इसकी खोज बेन्डेन व नामकरण टी. बोवेरी ने किया।
  • तारककाय केवल जंतु कोशिकाओं में पाया जाता है, पादप कोशिकाओं में नहीं (केवल शैवाल व कवक को छोड़कर) पाया जाता है।
  • तारककाय कोशिका विभाजन में सहायक या कोशिका विभाजन के समय तर्कु तंतु (Spindle Fibre) का निर्माण करते हैं।

✦ अन्तरूद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) —

  • खोज-पोर्टर ने
  • इसे कोशिका का कंकाल तंत्र भी कहते हैं।
  • यह केवल यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पायी जाती है
  • जिन अंत: द्रव्यी जालिका की बाहरी सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं उन्हें खुरदरी या रुक्ष अंतः द्रव्यी जालिका (RER) कहते हैं।
  • जिन अंतः द्रव्यी जालिका की बाहरी सतह पर राइबोसोम का अभाव होता है, उन्हें चिकनी अंतः द्रव्यी जालिका (SER) कहते हैं।

✦ गॉल्जीकाय (Golgi Body) —

  • इसे कोशिका का यातायात प्रबंधक (Traffic Police) भी कहा जाता है।
  • इसका मुख्य कार्य लाईसोसोम का निर्माण, लिपिड का निर्माण, वसा व लिपिड का संचय, कोशिकीय पदार्थों का स्त्रावण व शुक्राणुओं में एक्रोसोम का निर्माण करना है।
  • इसकी खोज कैमिलो गोल्जी ने की थी तथा इसे सभी कोशिकांगों की मां (GERL) भी कहा जाता है।
  • यह RBC, जीवाणु, नौल हरित शैवाल व माइकोप्लाज्मा में नहीं पाया जाता।
  • पादप कोशिकाओं में गॉल्जीकाय को डिक्टियोसोम (Dictyosome) भी कहा जाता है।
  • यह लाइसोसोम व परॉक्सिसोम के निर्माण में सहायक होता है।
  • गॉल्जीकाय ग्लाइकोलिपिड व ग्लाइकोप्रोटीन निर्माण का प्रमुख स्थल होता है।

✦ लाईसोसोम (Lysosomes) —

  • इसकी खोज डी. डवे ने की थी।
  • इसका मुख्य कार्य बाहा कोशिका पदार्थों का पाचन, अंत: कोशिका पाचन, स्वनष्टीकरण (Autolysis) व कोशिका विभाजन है।
  • इसे कोशिका को आत्मघाती थैली व कोशिका के पाचन केन्द्र भी कहा जाता है।
  • इसमें केन्द्रक के चारों ओर पूर्ण विकसित केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है-जो सभी पौधों व जंतुओं में उपस्थित होती है।

✦ माइटोकाड्रिया (Mitochondria)

  • इसकी खोज अल्टमन ने व नामकरण सी. बेन्डा ने किया था।
  • इसमें ऊर्जा का निर्माण व संचय ATP के रूप में होता है।
  • इसकों श्वसन का केंद्र कहते है तथा यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती है।
  • इसे कोशिका का शक्ति गृह (Power House of Cell) भी कहा जाता है।

✦ लवक (Plastid):

  • खोज-हेकल ने, ये केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं तथा अधिकतर लवक में वर्णक होते हैं।
  • जीवाणु, नील हरित शैवाल व कवक में लवक नहीं पाए जाते हैं।
  • हरितलवक (Chloroplast) को पादप कोशिकाओं का रसोई घर कहा जाता है।
  • पत्तियों का हरा रंग क्लोरोफिल या पर्ण हरित के कारण होता है
  • टमाटर का लाल रंग लाइकोपीन के कारण होता है
  • मिर्च का रंग कैरोटिन के कारण व चुकुन्दर का बीटानिन के कारण, गाजर का रंग कैरोटिन के कारण होता है।
  • पत्तियों का रंग पीला कैरोटिन व जैन्थोफिल के कारण होता है।
  • पर्णहरित में मैग्नीशियम (Mg़़) तत्व पाया जाता है।

✦ राइबोसोम (Ribosome):

  • खोज पैलड ने की।
  • यह प्रोटीन निर्माण का कार्य करता है इसलिए इसे प्रोटीन संशलेषण का प्लेटफार्म या प्रोटीन का कारखाना या कोशिका का इंजन कहते हैं।
  • यह RNA (RNA) तथा प्रोटीन के बने होते है जिसमें RNA का लगभग 80% भाग होता है।
  • यह सबसे छोटा कोशिकांग होता है जिसका निर्माण केंद्रिका (Nucleolus) के द्वारा होता है।

✦ रिक्तिका या रसधानी (Vacuole):

  • रिक्तिका का बाहरी आवरण टोनोप्लास्ट कहलाता है।
  • यह पादप कोशिकाओं में बड़ी व जंतु कोशिकाओं में छोटी होती है।
  • जंतु कोशिक्त में ये जल संतुलन का कार्य करती है जबकि पादप कोशिकाओं में ये कठोरता प्रदान करती है।

✦ DNA एवं RNA में अन्तर

  • DNA में शर्करा डीऑक्सीराइबोज होती है।
  • RNA में शर्करा राइबोज होती है।
  • DNA में क्षार एडिनीन, ग्वानीन, थायमीन एवं साइटोसीन होते है
  • RNA में क्षार थायमिन की जगह यूरेसिल होता है।
  • DNA मुख्यतः केन्द्रक में पाया जाता है।
  • RNA केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य दोनों में पाया जाता है।

✦ पादक एवं जन्तु कोशिका में अन्तर

  • पादपों में कोशिका भित्ति पायी जाती है।
  • जन्तुओं में कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है।
  • पादपों में रिक्तिकाएं (Vecuoles) बड़ी होती है।
  • जन्तुओं में रिक्तिकाएं (Vecuoles) छोटी होती है।
  • पादपों में लवक पाया जाता है।
  • जन्तुओं में लवक नहीं पाया जाता है।
  • पादपों में तारकाय अनुपस्थित रहता है।
  • जन्तुओं में तारकाय उपस्थित रहता है।
  • पादपों में इसका आकार आयताकार होता है।
  • जन्तुओं में इसका आकार वृत्ताकार होता है।

✦ केन्द्रक (Nucleus) —

  • केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राऊन में की थी।
  • केन्द्रक के चारों और दोहरी परत की झिल्ली होती है जिसे केन्द्रक झिल्ली या केन्द्र​क कला कहते हैं।
  • केन्द्रक के अन्दर गाढ़ा अर्ध तरल पदार्थ होता है जिसे केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) कहते है।
  • जीवाणु व नील हरित शैवाल में केन्द्रक के स्थान पर क्रोमोटिन पदार्थ (न्यूक्लियो प्रोटीन) कोशिका के मध्य में फैला रहता है।
  • केन्द्रक में 85% प्रोटीन, 10% RNA व 5% DNA होते है।
  • केन्द्रक झिल्ली या केन्द्रक कला लाईपोप्रोटीन से बनी होती है।
  • केन्द्रक दृष्य न्यूक्लियो प्रोटीन से बनता है जिसे कैरियोलिम्फ भी कहते हैं।
  • केन्द्रक द्रव्य में केंद्रिका, क्रोमोटिन धागे, RNA व राइबोसोम्स पाए जाते हैं।
  • DNA केन्द्रक में पाया जाता है जिसका कार्य आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित करना है।
  • क्रोमोटिन धागे DNA व प्रोटीन से मिलकर बने होते हैं।
  • प्रत्येक गुणसूत्र में जीन पाए जाते है तथा DNA को आनुवंशिक पदार्थ व जीन को आनुवंशिक इकाई कहते हैं।
  • DNA के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं।
  • केन्द्रक कोशिका के अन्दर की सभी उपापचयी तथा रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है इसलिए इसे कोशिका का निदेशक व नियंत्रक भी कहते हैं।
  • कोशिका का सबसे छोटा कोशिकांग राइबोसोम है।
  • जंतु कोशिका का सबसे चड़ा कोशिकांग केन्द्रक है।
  • पादप कोशिका का सबसे बड़ा कोशिकांग लव​क (Plastid) होता है।
  • RNA का संश्लेषण केंद्रिका (Nucleolus) में होता है
  • DNA का X-Ray विवर्तन विधि द्वारा विस्तृत अध्ययन विलिकंस व फ्रेंकलिन ने किया था।
  • DNA का द्रव्यमान पीकोग्राम में मापा जाता है तथा DNA पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला होती है।
  • कोशिका की अचल संपत्ति न्यूक्लिक अम्ल को कहा जाता है।

✦ गुणसूत्र (Chromosomes) —

  • क्रोमोटिन के वे धागे जो कोशिका विभाजन के समय संकुचित होकर छोटे-छोटे धागों के रूप में पाये जाते हैं गुणसूत्र कहलाते हैं।
  • प्रत्येक गुणसूत्र में जीन पाए जाते है जो आनुवंशिक इकाई कहलाते हैं।
  • गुणसूत्र DNA, RNA व हिस्टॉन प्रोटीन से मिलकर बने होते हैं।
  • गुणसूत्र की खोज स्ट्रासबर्गर ने की थी जबकि नामकरण वाल्डेयर ने क्रिया था।
  • मनुष्य में गुणसूत्रों की संख्या 46 (23 जोड़ी) होती है।
  • नर व नादा में 22 जोड़ी (कायिक गुणसूत्र) समान तथा एक जोड़ी (लैंगिक गुणसूत्र) मादा में XX तथा नर में XY होते हैं।

✦ RNA राइबो न्यूक्लिक अम्ल —

  • इसमें राइबोज शर्करा पायी जाती है।
  • इसमें नाइट्रोजनी क्षारक थाईमिन की जगह यूरेसिल पाया जाता है।
  • DNA से RNA बनने की विधि ट्रांसक्रिप्शन कहलाती है।
  • RNA से प्रोटीन बनने की विधि को ट्रांसलेशन कहते हैं।
  • RNA को अधिकांश मात्रा कोशिकाद्रव्य में व थोड़ी मात्रा केन्द्रक में पायी जाती है।
  • RNA का मुख्य कार्य एमीनो अम्लों से प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में भाग लेना है।

✦ कोशिका विभाजन (Cell Division) —

  • मातृ कोशिका (Mother Cell) से अनेक संतति कोशिकाओं (Daughter Cells) को जन्म देने की प्रक्रिया कोशिका विभाजन कहलाती। है
  • एक कोशिका के बनने से लेकर, उसके विभाजन से संतति कोशिकाओं के जन्म तक की समस्त प्रक्रियाओं को कोशिका चक्र (Cell Cycle) कहते हैं।
  • कोशिका विभाजन का सिद्धांत सर्वप्रथम विरचों ने दिय था जिसने बताया की प्रत्येक नयी कोशिका का जन्म पूर्ववर्ती कोशिकाओं से ही होता है।
  • जीवाणु, नील हरित शैवाल, यीस्ट, अमीबा तथा कुछ प्रोटोजोआ आदि जिनमें अविकसित कोशिकाएं होती हैं, उनमें असूत्री विभाजन होता है
  • अर्धसूत्री विभाजन सिर्फ जनन कोशिकाओं (Sexual Cell) में होता है व इसका नामकरण फार्मर व मूरे ने किया।

✦ समसूत्री विभाजन (Mitosis) —

  • समसूत्री विभाजन को फ्लेमिंग द्वारा नाम दिया गया था।
  • समसूत्री विभाजन सिर्फ कायिक कोशिकाओं (Somatic Cell) में होता है।
  • समसूत्री विभाजन इंटरफेज, प्रोफेज, मेटाफेज, एनाफेज तथा टेलॉफेज जैसी पाँच अवस्थाओं में संपन्न होता है।
  • दो कोशिका विभाजनों के बीच की वह अवधि जिसमें कोशिका स्वयं को विभाजन के लिए तैयार करती है, इंटरफेज कहलाती है।
  • प्रोफेज विभाजन की प्रथम अवस्था है इसके अंत तक केन्द्रक विलुप्त हो जाता है।
  • गुणसूत्र मध्य रेखा पर मेटाफेज में आता है।
  • एनाफेज सबसे कम अवधि में में संपन्न होने वाली अवस्था है।
  • समसूत्री विभाजन की अंतिम अवस्था टेलोफेज होती है।
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