—:वस्तु एवं सेवा कर (Goods and service tax) :—
❖ भारत में एक राष्ट्र एक कर प्रणाली लागू करने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2017 को अप्रत्यक्ष कर के रूप में वस्तु एवं सेवा कर आरंभ किया गया था और यह पूरे भारत में लागू होता है।
❖ GST ने केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले कई सोपानी करों का स्थान लिया है।
❖ यह 122वें संविधान विधेयक के पारित होने के बाद संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम, 2017 के रूप में लाया गया था।
❖ संविधान संशोधन ने केन्द्र और राज्यों दोनों को GST लगाने के लिए समवर्ती शक्तियां प्रदान की। इस संशोधन के माध्यम से संविधान में तीन नए अनुच्छेद समाविष्ट किए गए—
(1) अनुच्छेद 246—A — संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों को GST से संबंधित कानून बनाने की समवर्ती शक्ति होगी। हालांकि संसद वस्तुओं और सेवाओं के अंतर — राज्यीय व्यापार की स्थिति में कानून बनाने की विशेष शक्ति बनाए रखेगी।
(2) अनुच्छेद 269—A — अंतर्राज्यीय व्यापार की स्थिति में जहां GST केन्द्र सरकार द्वारा लगाया और एकत्र किया जाता है, केन्द्र द्वारा केन्द्र और राज्यों के बीच कर राजस्व आय को इस प्रकार से विभाजित किया जाएगा जैसा कि संसद द्वारा GST परिषद की अनुशंसाओ के आधार पर कानून द्वारा प्रावधान किया गया है।
(3) 279—A — यह भारत के राष्ट्रपति को GST परिषद का गठन करने का अधिकार देता है।
❖ GST एक उपभोग आधारित कर है; इसलिए जहां वस्तुओं या सेवाओं का उपभोग किया जाता है, उस राज्य को करों का भुगतान किया जाता है, न कि उस राज्य में जिसमें उनका उत्पादन किया गया था।
❖ GST का नियमन GST परिषद द्वारा किया जाता है जिसका अध्यक्ष भारत का वित्त मंत्री होता है।
❖ GST के अंतर्गत कोई एकसमान कर दर नहीं है। विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर निम्नलिखित दरों पर कर लगाया जाता है—
0%, 5%, 12%, 18%, 28%
❖ कच्चे कीमती और अर्द्ध कीमती पत्थरों पर 0.25% और सोने पर 3% की विशेष दर है।
❖ वस्तुओं का व्यापार करने वाले कारोबारों की स्थिति में रु 40 लाख तक के वार्षिक कारोबार वाले कारोबार GST से मुक्त है। (यह सीमा पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए रु20 लाख है।)
❖ सेवाओं या दोनों वस्तुओं और सेवाओं के मामले में, निर्धारित सीमा रु20 लाख है।(पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए रु10 लाख)।
❖ शराब का GST से संवैधानिक रूप से स्पष्ट भाषा के साथ बाहर छोड़ दिया गया जबकि निम्न वस्तुओं के लिए यह कहा गया की GST परिषद इनके बारे में निर्धारण करेगी—
✦ कच्चा तेल ✦ Motor – sprit
✦ High speed diesel ✦ प्राकृतिक गैस
❖ 2017 में GST लागू होने के बाद से विगत कुछ वर्षों में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को एक स्लैब से दूसरे स्लैब में स्थानांतरित किया गया है। इस संबंध में निर्णय GST परिषद द्वारा लिया जाता है।
❖ 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 279A सम्मिलित किया गया था। इसने भारत के राष्ट्रपति को GST परिषद का गठन करने का अधिकार दिया।
GST परिषद का गठन :—
❖ अध्यक्ष — केन्द्रीय वित्त मंत्री।
❖ इसमें केन्द्रीय राज्यमंत्री(वित्त) और सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल है।
❖ उपाध्यक्ष — राज्य सरकार के मंत्रियों में से चुना जाता है।
❖ गणपूर्ति कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत है।
❖ संकल्प के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले 75% सदस्यों की आवश्यकता होती है।
❖ भारित बहुमत सिद्धांत — केंद्र सरकार का मान एक — तिहाई (1/3) वोट माना जाएगा। सभी राज्य सरकारों का एक साथ मिलाकर कुल मान दो — तिहाई (2/3) वोट माना जाएगा।
❖ GST परिषद् GST से संबंधित सभी मुद्दों, यथा — विधि नियम, दर, वस्तुओं का वर्गीकरण आदि पर निर्णय करेगी।
GST के लाभ :—
❖ GST के द्वारा कर पर कर की समस्या को रोका जा सकेगा।
❖ GST के लागू होने से कर व्यवस्था आसान होगी और छूटों की संख्या बहुत कम होगी। इससे भारत में व्यापार करना आसान हो जाएगा।
❖ निर्यातों को बढ़ावा मिलता है। निर्यातों पर GST नहीं लगाया जाता है जबकि निर्यातों को ITC दी जाती है।
❖ करों की चोरी रोकने में मदद मिलती हैं
ITC (Input Tax Credit) :—
❖ ITC एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें आगतों पर दिए जाने वाले करों को विनिर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और व्यापारियों को या तो वापस लौटा दिया जाता है या उन्हें समायोजित करने का अधिकार दे दिया जाता है।
ई — वे बिल :—
❖ इलेक्ट्रॉनिक वे बिल या ई — वे बिल वह दस्तावेज है जिसे 10 कि.मी. से अधिक दूर बिक्री के लिए रु 50,000 से अधिक मूल्य की वस्तुओं की खेप ले जाने वाले वाहन के प्रभारी व्यक्ति द्वारा रखा जाना आवश्यक है। वस्तुओं की आवाजाही के लिए पूरे देश में एक ही ई — वे बिल मान्य है।